“बेंबळा नदी परिक्रमा”
नवंबर २०११
बिंदू तिर्थ (उगम स्थान, कारंजा लाड) से रामटेक
गोदावरी बेसीन के बेंबळा, अडाण, अरुणावती नदीयों के उपबेसीन मे प्रकृती संवर्धन, नदी संवर्धन तथा स्थानीय लोगों के रोजगार को शाश्वतता प्रदान करने की दृष्टीसे हम कार्यरत है. नदी तथा प्रकृती आधारीत लोगों के साथ काम करने के साथ साथ हमे एक महत्त्वपूर्ण बात सिखने को मिली की, हमारे नदी के प्रश्न नदी के बेसीन क्षेत्र मे किये गये नकारात्मक कार्यों का परिणाम मात्र है. कृषी, कृषक समूदायों के तथा मछुआरों के प्रश्न, जंगल, चारागार, तालाब अथा अन्य प्राकृतीक घटकों में आये परिवर्तनों को जब तक हम जान नही लेते तथा छोटे क्षेत्र में ही सही जब तक निसर्ग संवर्धन के कार्य नही करते तब तक ये सभी प्रश्न ऐसे ही अपना विकराल रुप धारण करते रहेंगे. इन सारे प्रश्नों का अद्ययन हो, नदी की व्यवस्था को समझते समझते आसपास फैली प्रकृती को समझा जाये, भारतीय अर्थ व्यवस्थाका केंद्र बिंदू रहे कृषी तथा कृषकों के, कृषी मजदूरों के जीवन को समझनेके लिये तथा सर्व सम्मती की कार्य योजना को मुर्त स्वरुप देणे के लिये दिनांक नवंबर २०११ (तारिखे जल्द ही बताई जायेगी) के दौरान बेंबळा नदी (गोदावरी बेसीन की एक नदी) परिक्रमा का आयोजन किया जा रहा है. प्रकृती तथा सामाजीक अद्ययनकर्ता, एनजीओ के कार्यकर्ता, शिक्षक, विद्यार्थी, पक्षी मित्र, छायाचित्रकार, सरकारी अधिकारी तथा प्रकृती तथा स्थानीक ग्रामीण लोगों के बारे में आस्था रखने वाले (तथा हर रोज १० ते १२ किलो मीटर पैदल चलने की तैय्यारी रखने वाले) तमाम मित्रों को इस परिक्रमा में हम सादर आमंत्रीत करते है.
भ्रष्टाचार विरोध में देश में एक सकारात्मक वातावरण की निर्मिती के मद्देनजर प्रकृती के, पारंपारिक तालाबों के, नदी के, कृषी के, कृषकों के, मछुआरों के, प्राकृतीक संसाधनों पे निर्भर लोगों के प्रश्नों की और अनदेखी हो रही है. करोडो रुपये खर्च करने के बाद भी जिस नुकसान की पुर्ती नही की जा सकती ऐसा प्राकृतीक संसाधनों के क्षरण का भ्रष्टाचार सारे समाज ने मिल कर किया है. इन सभी मुद्दों पर व्यापक जन जागृतीकी अब आवश्यकता है. साथ ही स्थानीक परिस्थिती के अद्ययन के बिना ही नरेगा जैसी योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है. इस परिस्थितीत में प्राकृतीक संसाधनों के अद्ययन आधारीत प्रबंधन को बढावा देणे की नितांत आवश्यकता है.
नदी को एक केंद्रिभुत प्राकृतीक घटक मानते हुये, प्रकृती तथा उससे जुडे लोग, नदी के विविध घटकों के बारे में जानकारी इकठ्ठा करना, स्थानीय लोगों से चर्चा कर उनके मुद्दे जाननेके उद्देश्य से तथा सर्व सम्मती की उपाययोजना को लागू करना यह प्रमूख उद्देश्य इस परिक्रमा के है.